नई दिल्लीश्रीलंका का वह आक्रामक बल्लेबाज जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ गेंदबाजों की पिटाई करना था। वह जब तक क्रीज पर रहता गेंदबाजों को राहत नहीं मिलती। कोच डेव वॉटमोर ने जब सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूवितराना को वनडे इंटरनैशनल में पारी की शुरुआत करने की जिम्मेदारी सौंपी, तो किसी को अंदाजा नहीं था खेल हमेशा के लिए बदलने वाला है। दोनों ने मिलकर शुरुआती 15 ओवरों में ताबड़तोड़ रन बनाने शुरू कर दिए। आज इन्हीं जयसूर्या का जन्मदिन है। श्रीलंका में एक इलाका है मतारा। वहां आज ही के दिन 1969 में जयसूर्या का जन्म हुआ। जयसूर्या मजबूत कद-काठी के खिलाड़ी थे। मजबूत कंधे। चौड़ी कलाइयां और बाजुओं में भरपूर ताकत। गेंदबाज जरा सा चूका नहीं कि गेंद कब बाउंड्री तक पहुंचती पता नहीं चलता। पॉइंट के ऊपर से उनका कट शॉट बाकमाल होता। जरा सा पीछे हटे। रूम बनाया और गेंद गई दर्शक दीर्घा में। जयसूर्या ने करियर की शुरुआत एक गेंदबाज के रूप में की जो निचले क्रम में बल्लेबाजी कर सकता था। लेकिन वॉटमोर ने रणनीति अपनाई शुरुआत में अटैक करने की और यह कामयाब भी हुई। श्रीलंका 1996 के वर्ल्ड कप चैंपियन बना और जयसूर्या प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट।1996 के वर्ल्ड कप के क्वॉर्टर फाइनल में जयसूर्या ने इंग्लैंड के खिलाफ 44 गेंद पर 82 रन बना दिए थे। इसी साल पाकिस्तान के खिलाफ 65 गेंद पर 134 और सिर्फ 17 गेंद पर वर्ल्ड रेकॉर्ड हाफ सेंचुरी। 48 गेंद पर सबसे तेज सेंचुरी बनाने का रेकॉर्ड भी जयसूर्या के नाम रहा। जयसूर्या को आप जानते हैं उनकी वनडे इंटरनैशनल बल्लेबाजी के लिए। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में भी वह कमाल थे। भारत के खिलाफ 1997-98 में कोलंबो में उन्होंने 340 रन बनाए थे। दो दिन तक भारतीय गेंदबाजों को कोई विकेट नहीं मिला था। 1998 में इंग्लैंड के खिलाफ ओवल में उन्होंने 213 रन ठोके। और फिर 2000-01 की सीरीज में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 156 गेंद पर 148। साउथ अफ्रीका को ऑस्ट्रेलिया के अलावा पहली बार किसी ने पारी के अंतर से हराया था। 400 वनडे खेलने वाले पहले खिलाड़ीजयसूर्या 2007 में वनडे इंटरनैशनल में 300 विकेट लेने वाले तीसरे स्पिनर बने। इसके साथ ही 400 वनडे इंटरनैशनल मैच खेलने वाले वह पहले खिलाड़ी थी। 38 साल की उम्र में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट छोड़ दिया और 42 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट। 445 वनडे इंटरनैशनल में उनके नाम 13430 रन हैं। वहीं 110 टेस्ट मैच में 6973 रन।