नई दिल्ली1970 की दहाई में वेस्टइंडीज की टीम ने क्रिकेट की दुनिया में अपना मुकाम बनाना शुरू किया। अगले करीब डेढ दशक तक वेस्टइंडीज दुनिया की सबसे धाकड़ टीम रही। ऐसी टीम जिसे हरा पाना असंभव था। पर यह उससे जरा पहले की बात है। 2 जुलाई 1969 की। उस समय वेस्टइंडीज भले ही 1979 की न हो लेकिन आयरलैंड के खिलाफ तो उसे ऐसे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं होगी। वेस्टइंडीज के लिए यह मैच भुला देने वाला है। लेकिन इतिहास में यह दर्ज हो चुका है। बासिल बुचर की कप्तानी वाली टीम इंग्लैंड और आयरलैंड के दौरे पर थी। 2 जुलाई को आयरलैंड के खिलाफ वेस्टइंडीज ने एक मैच खेला। यह एक दिन में दो-दो पारियों का मुकाबला था। हालांकि मैच से पहले यह तय हो गया था कि अगर दोनों टीमों की दो पारियां समाप्त नहीं हुई तो पहली पारी की बढ़त के आधार पर विजेता को चुना जाएगा। तो खेल शुरू हुआ। वेस्टइंडीज ने टॉस जीता और बल्लेबाजी करने का फैसला किया। लेकिन वेस्टइंडीज की टीम के खिलाड़ी ऐसे आउट होने लगे जैसे ताश के पत्तों का महल।एक के स्कोर पर पहला विकेट गिरा। दूसरा भी उसी स्कोर पर। इसके बाद विकेट गिरने का सिलसिला चलता रहा। 12 के स्कोर तक पहुंचते-पहुंचते वेस्टइंडीज के नौ विकेट गिर चुके थे। लंदनेडरी में मौजूद दर्शकों को यकीन नहीं हो रहा था कि आखिर उनके सामने क्या हो रहा है।वेस्टइंडीज की टीम में पांच खिलाड़ी ऐसे थे जो हाल ही में लॉर्ड्स टेस्ट ड्रॉ करवाकर आए थे। वेस्टइंडीज के लिए नंबर नौ पर बल्लेबाजी करने आए ग्रेसन शिलिंगफर्ड और फिलिप ब्लेयर ने 13 रन जोड़े। जो टीम के लिए सबसे बड़ी साझेदारी थी। 25 के स्कोर पर पूरी टीम पविलियन लौट चुकी थी। आयरलैंड के कप्तान डॉउजी गुडविन ने सिर्फ छह रन देकर पांच विकेट लिए। एलेक ओ’राइरडन ने 18 रन देकर चार बल्लेबाजों को पविलियन भेजा। आयरलैंड ने अपनी पहली पारी में आठ विकेट पर 125 रन बनाए। इसके बाद दूसरी पारी में भी अच्छी नहीं रही थी और 1 रन पर उसने दो विकेट गंवा दिए थे। इसके बाद पारी थोड़ी संभली। कप्तान बुचर ने 50 रन बनाए। दूसरी पारी में कैरेबियाई टीम ने चार विकेट पर 78 रना स्कोर हासिल किया था। आयरलैंड के लिए गुडविन ने मैच में सात रन देकर सात विकेट लिए।