गुवाहाटी, 10 सितंबर (भाषा) केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले सात साल के शासनकाल में बढ़ती बेरोजगारी और क्रय शक्ति कम होने से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। असम के कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने शुक्रवार को यह विचार व्यक्त किया। राज्यसभा सांसद बोरा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि बेरोजगारी की दर शहरों और कस्बों में 9.3 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 6.8 प्रतिशत तक पहुंच गई। . उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2021 के पहले छह माह में 2.5 करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी नौकरी खो दी, जबकि अतिरिक्त 7.5 करोड़ नागरिक गरीबी में पहुंचे हैं। 10 करोड़ मध्यम वर्ग के नागरिकों की आय आधी हो गई है। असम के पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गलत तरीके से की गई नोटबंदी और जीएसटी उपायों के परिणामस्वरूप, लगभग 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरी खो दी, जबकि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उनके खराब ढंग से लागू किये गये दीर्घकालिक लॉकडाउन के कारण लगभग दो करोड़ लोग बेरोजगार हो गये।’’ उन्होंने दावा किया कि आरटीआई आवेदनों के माध्यम से एकत्र किए गए तथ्यों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) का लाभ वर्ष 2014 में 88,000 करोड़ रुपये था जो कि 2021 में घटकर 26,104 करोड़ रुपये रह गया। बोरा ने कहा, “अक्षम अर्थशास्त्र एवं प्रशासन के तहत, भाजपा सरकार ने वर्ष 2019 में रिजर्वबैंक को धमकाते हुए 1.76 लाख करोड़ रुपये तथा जुलाई 2020 से मार्च 2021 के बीच 99,122 करोड़ रुपये की राशि निकालने का आसान रास्ता चुना जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छे संकेत नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में देश पर 56 लाख करोड़ रुपये का विदेशी कर्ज था जो कि वर्ष 2021 में 135 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया। ‘सीएमआईई और सीएजी के खुलासे के अनुसार एक खतरनाक स्थिति है।’’ बोरा ने कहा कि वर्ष 2020 के वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में 107 देशों के बीच भारत का 94वां स्थान था जबकि नेपाल 73वें, पाकिस्तान 88वें और बांग्लादेश 75वें स्थान पर था।