आखिर मोदी-शाह की जोड़ी से कैसे निपने कांग्रेस? यह सवाल न केवल कांग्रेस पार्टी बल्कि उसके शुभचिंतकों और बीजेपी विरोधियों के लिए भी लगातार कठिन बनता जा रहा है। ऐसे में एक पूर्व कांग्रेसी ने ही दावा किया है कि मोदी-शाह के बरक्स प्रियंका गांधी और सचिन पायलट को उतार दिया जाए तो इस कठिन सवाल हल हो सकता है। उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) में प्रकाशित एक लेख के जरिए दावा किया कि प्रियंका-पायलट की जोड़ी कांग्रेस के लिए वो सब डिलिवर कर सकती है जो बीजेपी के लिए मोदी-शाह कर रहे हैं। आरपीएन के जाने से कांग्रेस को झटका तो लगा हीअपनी बेबाक बोल के लिए कांग्रेस पार्टी से निलंबित नेता संजय झा ने अपने लेख की शुरुआत आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोड़ बीजेपी जॉइन करने के राजनीतिक संदेशों से की है। वो कहते हैं कि आरपीएन सिंह के पाला बदलने से नुकसान-फायदे की बात अपनी जगह, कांग्रेस के लिए कम-से-कम चिंता की बात तो है ही कि उसके बड़े नेता बीजेपी में जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘आरपीएन सिंह दमदार हों या बेकार, उत्तर प्रदेश चुनाव के बीच में एक और युवा नेता को बीजेपी के हाथों खो देने से वयोवृद्ध दल (कांग्रेस) को झटका तो लगा ही है।’ कांग्रेस नंबर दो है, लेकिन लड़ना नहीं चाहती हैवो आगे कहते हैं, ‘ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, कीर्ति आजाद… (कांग्रेस) छोड़ने वालों की लिस्ट दुखद रूप से लंबी होती जा रही है। कभी कांग्रेस के प्रतिभावान नेताओं की बहुप्रचारित टोली तेजी से बीजेपी के फायदे में टूट रही है।’ संजय झा के मुताबिक, कांग्रेस की हालत आज यह हो गई है कि वो राजनीतिक और चुनावी मैदान में पूरा दमखम लगाने को इच्छुक ही नहीं दिखती है। आज उसकी हालत यह है कि उसकी तरफ से कहीं न कहीं ऐसा संदेश जाने लगा है कि ‘हम नंबर दो हैं और हम (नंबर एक होने के लिए) कोशिश नहीं करते।’ आरपीएन सिंह ने कांग्रेस क्‍यों छोड़ी? सिंधिया की मौजूदगी में पहना भगवा चोला, फिर बताई असली वजहविपक्ष की भूमिका से भाग रही है कांग्रेसकांग्रेस के प्रवक्ता रहे संजय झा कहते हैं कि हर राजनीतिक दल का अंतिम लक्ष्य अपने विचारों से जनता को प्रभावित करने और आखिरकार सत्ता में आने ही होता है। लेकिन आज सबसे बड़ा विपक्षी दल होकर भी कांग्रेस के सिर्फ 52 सांसद हैं। बात अगर हमारे जैसे ही दो लोकतांत्रिक देशों, अमेरिका और ब्रिटेन की करें तो वहां विपक्षी दल तरह-तरह के उपायों से यह साबित करते रहते हैं कि वो सरकार नहीं तो सरकार की अक्स हैं और सरकार में आने को पूरी तरह तैयार हैं। उनकी आवाज सड़क से संसद और मीडिया तक, हर जगह गूंजती है जिससे लोगों की राय प्रभावित होती है। झा की मानें तो कांग्रेस इन पैमानों पर कहीं खरी नहीं उतर रही है। ट्रंप गांधीवादी हो जाएंगे तो बीजेपी भी हार जाएगी!वो कहते हैं, ‘प्रशांत किशोर ने सही ही कहा कि बीजेपी को परास्त करने के लिए जनता सत्ता विरोधी भावना पैदा होने का इंतजार करना, डॉनल्ड ट्रंप के गांधीवादी होने का इंतजार करने जैसा ही है। बीजेपी निश्चित रूप से हराई जा सकती है, लेकिन कांग्रेस को नया विचार पेश करना होगा। या एक आसान विकल्प ये है कि वो अपना नया नेता सामने लाए।’ झा के मुताबिक, कांग्रेस यह स्वीकार नहीं करना चाहती है कि लोग कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के तौर पर नया चेहरा देखना चाहते हैं।उन्होंने लिखा, ‘राहुल गांधी के अपनी भूमिका में हीला-हवाली वाला रवैये ने प्रथम परिवार (गांधी परिवार) की कथित निरंकुशता के प्रति आमजन के आक्रोश को हवा दे दी है। 2013 के अपने जयपुर भाषण में राहुल ने कहा था कि सत्ता जहर है। निश्चित रूप से यह सही कसौटी नहीं है।’ कांग्रेस पहले वाली पार्टी नहीं, पीएम मोदी की तारीफ, आरपीएन बोले- BJP में देर आए दुरुस्त आएदेशव्यापी पदयात्रा करें राहुलपूर्व कांग्रेसी प्रवक्ता का सुझाव है कि कांग्रेस पार्टी में फिर से ताकत झोंकने के लिए राहुल गांधी को पूरे देश की पद यात्रा करनी चाहिए। इस दौरान वो गरीबों, हाशिये पर पहुंची और वंचित आबादी से राब्ता करें। वो कहते हैं, ‘उन्हें (राहुल को) कांग्रेस पार्टी का वैचारिक राजदूत होना चाहिए न कि एक निस्तेज संगठन का ऐसा मुखिया जो हर हाल में सत्ता पाने को बेकरार है।’कमाल कर सकती है प्रियंका-पायलट की जोड़ी वो आगे कहते हैं, ‘कांग्रेस पार्टी को मोदी-शाह की जोड़ी की काट ढूंढनी ही होगी। इसके लिए उसे प्रियंका गांधी वाड्रा और सचिन पायलट की जोड़ी बनानी चाहिए।’ झा कहते हैं कि प्रियंका गांधी ने ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा देकर महिलाओं के मन पर छाप छोड़ने में कामयाबी हासिल की है। वो लिखते हैं, ‘लोग लोग साहसिक योद्धाओं को पसंद करते हैं। प्रियंका गांधी में इसकी झलक मिलती है, उन पर इंदिरा गांधी की छाप दिखती है। उनमें लोगों अपनी बातों से मोह लेने की नैसर्गिक प्रतिभा है, वो मीडिया को भी ठीक से हैंडल करना जानती हैं और उन्हें लोगों के बीच रहना भी पसंद है।’Ghulam Nabi Azad: ‘बधाई भाईजान…पार्टी को जरूरत नहीं, राष्ट्र मान रहा योगदान’, आजाद को पद्म भूषण पर सिब्बल ने कांग्रेस को घेराप्रियंका और सचिन की खासियतें तो समझेंझा कहते हैं कि प्रियंका में अच्छी संगठन शक्ति भी है। वो कहते हैं कि 2018 के अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (AICC) की मीटिंग के दौरान प्रियंका ने अपने सांगठनिक कौशल का प्रदर्शन किया था। वो संगठन को फिर से खड़ा कर सकती हैं। वहीं, सचिन पायलट महत्वाकांक्षी, मेहनती और दृढ़निश्चयी हैं जो बीजेपी से दो-दो हाथ करने का माद्दा रखते हैं। संजय झा के मुताबिक, पायलट के भोले-भाले चेहरे के पीछे एक शेरदिल इंसान सांस लेता है। ऐसे गांधी परिवार से चिपके रहने वाले कांग्रेसियों को प्रियंका के रूप में नेता भी मिल जाएंगी और पायलट के रूप में भारी संख्या में वोट दिलाने वाला योद्धा भी। कांग्रेस युक्‍त भाजपा… भगवा खेमे में जाएंगे और दिग्‍गज! देश की सबसे पुरानी पार्टी से क्‍यों डिगा नेताओं का भरोसा?डबल इंजन के खिलाफ बुलेट ट्रेन उतारे कांग्रेसझा कहते हैं कि लोग बीजेपी को इसलिए नहीं वोट कर रहे हैं कि उन्हें पार्टी से लगाव है बल्कि इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो कांग्रेस को सत्ता में देखना नहीं चाहते हैं। कांग्रेस पार्टी को लोगों के मन में खोया विश्वास फिर से जगाना होगा। प्रियंका और पायलट यह बेहद चुनौतीपूर्ण काम कर सकते हैं। दोनों युवा हैं और नए भारत के सपनों के अनुकूल भी। बीजेपी डबल इंजन की बात करती है, कांग्रेस को अपनी जोड़ी को बुलेट ट्रेन के रूप में पेश करना चाहिए। संजय झा अपने लेख के आखिर में कहते हैं, ‘मोदी-शाह बनाम प्रियंका-पायलट? मैं तो कहूंगा खेल शुरू हो जाए।’ToI में प्रकाशित संजय झा का पूरा लेख यहां पढ़ सकते हैं